जाटड़ा और काटड़ा, अपने को ही मारे इसी को तो कहते हैं:
अजीत सिंह ने बहुत बड़ी गलती की जो जाट आरक्षण के लिये अपना राजनैतिक भविष्य दाँव पर लगा दिया, अजीत सिंह को चहिये था कि जब मुजफरनगर मे दंगे हुये थे तो जाटो की हिमायत करके पश्चिमी उत्तर प्रदेश को दंगों की आग मे झोक देते, उस आग को और भड़कवाते, जाट बिरादरी का विनाश करवाकर अपनी राजनीति चमकाते, क्योंकि जाट ठहरे भावनाओं के गुलाम, वो बाद में अजीत सिंह से यह थोड़े ही पूछते कि तूने हमें दंगों की आग में झुकवाया अब हमारे घायलों का इलाज करवा, या उनका पुनर्वास करवा, या उनके उजड़े-जले हुए घरों को दोबारा बनवा; नहीं पूछते ना जब अमित-शाह और नरेंद्र मोदी, बीजेपी और आरएसएस, हिन्दू और हिंदुत्व वालों से नहीं पूछा, तो ये आप से भी नहीं पूछते|
और अब देखो अजीत सिंह, जाट आरक्षण दिलाकर क्या मिला आपको; जाटो की गालियाँ? और वही जाट युवा आपके खिलाफ हुआ खड़ा है| विभिन्न जाट-खापों और आरक्षण संघर्ष समितियों के प्रयासों को अमली जामा पहनाते हुए आपने आरक्षण दिलवाया और आपके ही दिए आरक्षण से इनको बढ़िया दाखिले मिलेंगे, नौकरियां मिलेंगी, नौकरियों में प्रमोशन मिलेंगे; लेकिन इनको उससे क्या?
अजीत सिंह आप आज के जाट युवा की रग नहीं पहचान पाये, आज के जाट युवा को तो दंगे चाहिए थे| फिर भले ही आप सबको मरवा-कटवा के उनको संभालने भी ना जाते; मोदी की आगरा रैली में इनके किसी भी चौधरी व् नेता को हॉनर करवाने की बजाये किसी भी संगीत-सोम टाइप को हॉनर करवा देते| इलेक्शन के टाइम एक अमित शाह आप भी छोड़ देते इनके बीच, जो इनको वीरांगनाओं सी बातें करके लुभाता (अरे बावलो अमित-शाह तो बनिया हो गया, जाट की शय में आ के तो भगवान भी वीरों जैसी बातें करने लग जाए; हमारे आज के जाट युवा को तो यही समझ नहीं आता कि तुम चीज क्या हो)|
मुलायम सिंह चाहता था कि मुजफरनगर दंगों मे एक बार अजीत सिंह जाटो की तरफ से बोल पड़े जिससे जाटो को मरवाने की भूमिका तैयार हो जाये। और आज जिस अजीत सिंह को इस तरह से घिरवाया जा रहा है कि अजीत सिंह ने जाटों को साथ नहीं दिया; कल इसी अजीत सिंह पे तोहमत लगवा दी जाती कि देखो अजित सिंह ने कितने जाट मरवा दिए मुज़फ्फरनगर में| और यह भोले जाट जो आज आपको इस बल कोस रहे हैं, कल उस बल कोसते| मतलब इन्होनें आपको कोसना फिर भी था, क्यों; क्योंकि जाटड़ा और काटड़ा अपने को ही जो मारता है| दूसरे तो फिर भले ही इनकी ऊर्जा-शक्ति-बल का जितना चाहे अपहरण करते रहें|
जाट युवाओं का भविष्य उज्जवल बनवाने का क्या सिला मिला अजीत सिंह आपको, ज़रा सोचियेगा? इनको उज्जवल भविष्य चाहिए था या इनको भड़का के इनके घर उजड़वाने वाले अमित-शाह जैसे गुर्गे? इस बार तो "गंजे (जाट-युवा) अपने सर खुजाने पे लगे हुए हैं, बस लहू निकाल के छोड़ेंगे अपने सर में"| कोई बात नहीं अगली बार आप भी कोई अमित शाह जैसा गुर्गा छोड़ देना इनके बीच, बैठे-बिठाए सारा काम हो जायेगा|
पगड़ी संभाल जट्टा, दुश्मन पहचान जट्टा| -