Thursday, November 7, 2013

घूम क देख्या स, जाट ने सारा हिंदुस्तान Poem by Vikas Lathwal

घूम क देख्या स, जाट ने सारा हिंदुस्तान, 
कड़े भी म्हारे जाटलैंड बरगे नज़ारे ना थे।। 
ताज महल देख्या, देख्या लाल किला, 
कोई भी म्हारे हरे भरे खेताँ बरगे प्यारे ना थे।। 
चाउमीन भी खायी ,खाया इडली डोसा सांभर, 
कड़े भी म्हारे दूध- दही बरगे खाने ना थे।। 
मेट्रो म भी चढ़या, चढ़या जहाज भी, 
कड़े भी म्हारे बैलगाड़ी आले हुलारे न थे।। 
खूब सेवा होई मेरी, होटल म रोक्या था, 
कड़े भी म्हारा जाटलैंड आला आदर-सत्कार न था।। 

100 बाताँ कि 1 बात तो या ह भाईयों सबते प्यारी बोली म्हारी, 
सबते सादा बाना स्। खेल कूद म आगे सबते,म्हारा दूध- दही का खाना स्। 
खेती हो या पढ़ाई हो हर फील्ड में।।
 नंबर 1 म्हारा जाटलैंड स् !! 
-- विकास लठवाल