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Tuesday, February 25, 2014

जाट बनाम परिवारवाद।


राम राम जाट भाइयोँ।
इस लेख मेँ जाट राजनीति के बारे मेँ बात करूंगा। मेरा आपसे निवेदन है कि आप इसे पूरा पढ़ेँ और अपने सुझाव जरूर देँ। जैसा कि आप सब जानते हैँ कि जाट प्राचीन काल से ही स्वतंत्र विचारोँ वाले और लोकतांत्रिक
रहे हैं। जब पूरा भारत गुलामी की बेड़ियो मे जकड़ा हुआ था तब भी जाटोँ की स्वतंत्रता मेँ कोई सीधा हस्तक्षेप
नही था, चाहे वो मुगलो का शासन ही क्योँ ना रहा हो।
परन्तु आज के जाट समाज को देखकर कोई ये नहीँ कह सकता कि हम लोकतांत्रिक रह हो। आप जरा सोचिए कि अगर सर छोटू राम जी अपने किसी सगे संबंद्धि को अपना राजनी उत्तराधिकार सौँप कर जाते तो मुझे
नही लगता कि उनके सगे संबंद्धि से सफल कोई राजनीतिज्ञ होता।
अगर चौ. चरण सिँह लोकदल का भार चौ. देवीलाल को न सौंपकर अपने पुत्र अजीत सिँह को सौँप देते
तो इसमेँ कोई शक की बात नहीँ कि अजित सिँह उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री होते।
पर इन दोनोँ महापुरुषोँ ने ऐसा नहीँ किया। अगर ये ऐसा करते तो हरयाणा मेँ बंसीलाल, देवीलाल जैसे
जाट नेता मुख्यमंत्री ना होते।
अजित सिँह UP के मुख्यमंत्री होते। महेन्द्र सिँह टिकैत जैसा महान नेता ना होते। क्योँकि इनके पुत्र पुत्रियाँ ही नेता होते।
पर उन्होनेँ ऐसा नहीँ किया क्योँकि उ जाट जाती से प्यार था और वे सच्चे सिपाही थे जाट कौम के। हर एक
जाट को अपना सगा संबद्धि मा थे। उनको प्यार था हम सब से।
परन्तु आज के जाट नेताओँ को तो देखिए वे अपने बच्चोँ के सिवाय किसी को अपना नहीँ मान केवल अपने स्वार्थ को सिद्ध करते है। और अपने स्वार्थ के लिए पुरी जाट जाति के हितोँ को बली चढ़ा देते है। जाट के नाम पर छलते ह पूरे जाट समाज को।
मैँ पूछना चाहता हूँ इन समाज के ठेकेदारोँ से कि तुम हमे अपना मानते भी हो या नहीँ ।
क्या तुम्हे कोई जाट योग्य नजर नहीँ आता।
मित्रोँ हमारे देश मे तीन जाट पार्टियाँ है INLD, RLD, अकाली दल । ये  तीनोँ हि पार्टियाँ जाट के नाम पर vote
पाती है । पर जाटोँ के लिए इन पार्टियोँ ने कुछ नहीँ किया केवल जाटोँ के नाम पर सत्ता का सुख भोगते रहे।
पूरी जाट जाती की भावना से खिलवाड़ करते रहे।
मैँ पूछना चाहता हूँ कि चौ. देवीलाल को अपने पुत्र के अलावा कोई और जाट नजर नही आया मुख्यमंत्री बना
के लिए। ये चौ. देवीलाल ही थे जिन्होने मुलायम को मुख्यमंत्री बनवा कर UP मेँ जाट राजनीति का अन्त कर
दिया। अब मान्यवर चौटाला जी है जो अपने बेटोँ और पौत्रोँ के राजनीतिक भविष्य को चमकाने मे लगे हुए है।
इनको जाटोँ से कोई लेना देना नहीँ है।
प्रकाश सिंह बादल भी ऐसे ही है वे चाहते तो और जाट नेताओँ को भी आगे ला सकते थे।  पर पुत्र मोह ?
और अजित सिँह कि तो छोड़ ही दे उनको तो लालच इतना है कि किसी प्रकार आशा ही छोड़ दो।
जितना ये नेता दोषी है उससे ज्यादा हम खुद दोषी है जो इनके पिछलग्गु बने हुए है। और पूरी जाट जाति को गर्त मे ले जा रहे है।
भावनावोँ मे राजनीतिक विवेक खो दिया। अगर कोई नयी पीढ़ी का जाट नेता उभरता भी है तो उसकी टाँग खीँचने मे पूरी ऊर्जा लगा देते है।
पूरा जाट समाज राजनीतिक दासता मे जकड़ा हुआ है। एसे मे मुझे नहीँ लगता कि कोई भी जाटोँ को लोकतांत्रि
कहेगा।
पर मैँ इतना जरूर कहना चांहूगा कि जिस जाट जाति का इतिहास इतना गौरवशाली रहा है उसको धूमिल ना होने दे।
ताश को छोड अपने समाज के बारे मे सोचे।
हमेँ नया इतिहास लिखना है। सर छोटूराम,चौ. चरण सिँह जैसे नेता बनाने है।
जाटोँ मे प्रतिभा की कोई कमी नहीँ है प राजनीतिक दासता छोड़ना होगा।
इन परिवारोँ के पीछे भागने से कुछ नहीँ होगा।
आखिर मे मैँ बस इतना कहूगा कि मेरे युवा जाट भाईयोँ जागोँ।
हम जाट है, और जाट कुछ भी कर सकता है। जिस प्रकार राजा जवाहर सिँह ने कम उम्र मेँ अपने
पहले अभियान मे दिल्ली को रौँद दिया था उसी प्रकार से हमे भी अपनी नेतृत्व शक्ति को पहचानते हुए
नया इतिहास रचना है।
धन्यवाद्
चौ. अभिषेक  लाकड़ा

Harit Pradesh?????


पश्चिमी उत्तर प्रदेश के किसानों को सन् 1947 से एक घुट्टी पिलाई जाती रही कि भारत का प्रधानमंत्री उनके प्रदेश (उत्तर प्रदेश) का होगा और रहे भी, जैसे कि पं. नेहरू, श्रीमती इन्दिरा गांधी, राजीव गांधी, वी.पी. सिंह, चन्द्रशेखर व अटल बिहारी वाजपेयी आदि। लेकिन क्या चौ० चरणसिंह उत्तर प्रदेश के नहीं थे - जिनकी सन् 1978 में सरकार को गिराने व नहीं बना देने के लिए इन्हीं उत्तर प्रदेश वालों ने जैसे श्रीमती इन्दिरा गांधी, वाजपेयी व चन्द्रशेखर ने एड़ी-चोटी का जोर लगा दिया था? इसी पश्चिमी उत्तर प्रदेश के किसान कमाते रहे हैं और बाकी उत्तर प्रदेश खाता रहा है। अर्थात् पूरे उत्तर प्रदेश में सरकारी महकमों आदि पर पूर्वी व मध्य उत्तर प्रदेश का अधिकार रहा है और इसके आंकड़े बड़े ही सनसनीखेज हैं। उत्तर प्रदेश के 19 विश्वविद्यालयों में से केवल 3 पश्चिमी उत्तर प्रदेश में हैं। तृतीय और चतुर्थ श्रेणी की नौकरियों में मात्र 14 प्रतिशत तथा राजपत्रित अधिकारी मात्र 4 प्रतिशत ही पश्चिमी उत्तर प्रदेश से है अर्थात पश्चिमी उत्तर प्रदेश कमा रहा है तो पूर्वी भईये खा रहे हैं। याद रहे इस उत्तर प्रदेश की नींव भी पं० जी.बी. पंत ब्राह्मण ने यह कह कर रखी थी कि गंगा-जमना के पानी को अलग नहीं होने दिया जाएगा। यह सभी पंत और नेहरू की चाल थी जिस पर आज तक अमल किया जा रहा है। यह शोषण नहीं तो और क्या है? यही भारी भरकम राज्य जिसकी जनसंख्या आज 16 करोड़ 62 लाख को पार कर चुकी है और पाकिस्तान की जनसंख्या 16 करोड़ 25 लाख से अधिक है। इसी प्रकार यह राज्य जनसंख्या के आधार पर लगभग 192 देशों से बड़ा है, लेकिन फिर भी केन्द्रीय सरकार पश्चिमी उत्तर प्रदेश को ‘हरित प्रदेश’ नहीं बनाना चाहती। जिसमें सरकार की इच्छा बड़ी साफ है कि वह पूरे उत्तर प्रदेश व बिहार व उत्तरांचल के लोगों को नौयडा के क्षेत्र में बसा कर यहाँ के स्थानीय लोगों को अल्पसंख्यक बनाना चाहती है जैसे कि दिल्ली में कर दिया है, ताकि हमेशा के लिए यहाँ का कारोबार व सरकार बाहरी लोगों के हाथ में रहे। इस प्रकार हम देखते हैं कि पश्चिमी उत्तर प्रदेश की ‘हरित प्रदेश’ की मांग हर तरह से न्याय की कसौटी पर खरी उतरती है। ‘हरित प्रदेश’ को बनाने में मुलायमसिंह जी सबसे बड़ी अड़चन डाल रहे हैं क्योंकि उनके वोट मध्य उत्तर प्रदेश तथा पूर्वी उत्तर प्रदेश में अटके पड़े हैं। इसके लिए पश्चिमी उत्तर प्रदेश के सभी किसान वर्ग को संघर्ष का रास्ता अपनाना होगा, वरना इनका शोषण इसी प्रकार जारी रहेगा और ये आजाद होकर भी गुलाम बने रहेंगे।

Friday, February 14, 2014

जाट प्लेटो महाराजा सूरजमल (maharaja surajmal)

महाराजा सूरजमल त्याग ,बलिदान ,वीरता कि साक्षात्मूर्ति है । इसलिए उनके जन्म दिवस को शोर्य दिवस के रूप में मनाना चाहिए ।जब सम्पूर्ण भारत के राजा राज्य करने के लिए मुगलो को अपनी बहिन बेटी दे रहे थे । उस समय महाराज ने अपनी वीरता से अपने राज्य का न केवल विस्तार किया बल्कि मुगलो को अपने आगे घुटने टेक ने को मजबूर कर दिया । मुगलो से दिल्ली जीतने वाले एकमात्र हिन्दू राजा थे । उनके खौफ के कारन ही मुगलो ने अपने राज्य में पीपल के पेड़ को काटने और गाय कि हत्या पर प्रतिबन्ध लगाया था । सूरज सा दिलेर उस समय कोई नहीं था । महाराजा सूरजमल का जन्म 13 फरवरी 1707 को महारानी देवकी और महाराजा बदनसिंह के घर हुआ| उनके जन्म के संबंध में जन मानस में एक लोकगीत प्रचलित है:
'आखा' गढ गोमुखी बाजी ।माँ भई देख मुख राजी ।।
धन्य धन्य गंगिया माजी ।जिन जायो सूरज मल गाजी ।।
भइयन को राख्यो राजी ।चाकी चहुं दिस नौबत बाजी ।।

भरतपुर इतिहास के अनुसार सूरजमल महाराजा बदन सिंह के ही पुत्र थे जब कि कुछ इतिहासकार उनको दत्तक पुत्र मानते है । महाराजा बदनसिंह के 26 पुत्र थे ऐसे में उनको किसी को गोद लेने कि क्या जररूत थी । सूरजमल कि माँ कामा कि जाटणी थी । बदनसिंह के 26 पुत्र निम्न थे :-- 
सूरजमल ,प्रतापसिंह ,अखैसिंह ,बलरामसिंह ,बिजयसिंह ,बीरनारायणसिंह ,दलेलसिंह ,दुल्हसिंह ,देवीसिंह ,गुमानसिंह, हिम्मतसिंह, जोधसिंह, कुशालसिंह, खेमकरणसिंह ,लालसिंह, मानसिंह, मेघसिंह, उदयसिंह, सुलतानसिंह , सुखरामसिंह , साकतसिंह , सभारामसिंह, रामकृष्ण सिंह, रामबलसिंह, रामप्रेमसिंह || 
महाराजा सूरजमल का वास्तविक नाम सुजानसिंह था । महाराजा सूरजमल के 14 रानियाँ और 5 लड़के थे| उनकी रानियों में किशोरी देवी , हसिया रानी। गौरी देवी , ख़त्तुदेवी कल्याणी देवी ,गंगा देवी मुख्य है , उनके पुत्र जवाहरसिंह , रणजीतसिंह , रतनसिंह , नाहरसिंह , नवलसिंह थे| अपनी वीरता के दम पर सूरजमल का राज्य पलवल , मेवात , गुडगाव , रोहतक , नीमराणा , मेरठ , बुलंदसहर , अलीगढ , एटा , इटावा , मैनपुरी मथुरा , हाथरस , फ़िरोज़ाबाद , आगरा तक फैला हुआ था । महाराजा सूरजमल ने अपने जीवन में बहुत से युद्ध लड़े और जीते युद्धो के दोरान दुश्मन को नरक का रास्ता उनकी तलवार ने दिखाया| चन्दौस का युद्ध 1746, बगरू का युद्ध 20 अगस्त 1748 को जयपुर रियासत के दो भाइयो के बीच था जहा माधो सिंह के साथ सम्पूर्ण राजपूत और मराठा शक्ति थी| वही ईश्वरसिंह के साथ जाट वीर सूरजमल थे सूरजमल को युद्ध में दोनों हाथो में तलवार ले कर लड़ते देख राजपूत रानियों ने उनका परिचय पूछा तब सूर्यमल्ल मिश्रण ने जवाब दिया:
यह वीर लोहागढ़ का जाट वीर है और आगे का परिचय एक इसप्रकार दिया 
"नहीं जाटनी ने सही व्यर्थ प्रसव की पीर, जन्मा उसके गर्भ से सूरजमल सा वीर" 
इस युद्ध में सुरजमल ने सम्पूर्ण राजपूत शक्ति को एक साथ पराजित किया 1 जनवरी 1750 को मीर बक्शी ने सूरजमल से समझोता किया उनके राज्य में न पीपल कटा गयेगा नहीं गायहत्या होगी और न किसी मंदिर को नुकसान होगा | उस समय उनका खौफ था जो मुस्लिम इस बात को मानने के लिए मजबूर हुए जिसको आज तक कोई दूसरा भी नहीं मनवा पाया| घासेड़ा का युद्ध 1753 में हुआ दिल्ली विजय 10 मई 1753 दिल्ली के मुग़ल बादशाह के एक सुखपाल नामका ब्राह्मण काम करता था , एक दिन उसकी लड़की अपने पिता को खाना देने महल में चली गयी मुग़ल बादशाह उसके रूप पर मोहित हो गया । और ब्राह्मण से अपनी लड़की कि शादी उससे करने को कहा और बदले में उसको जागीरदार बनाने का लालच दिया ब्राह्मण मन गया और अपनी बेटी चन्दन कौर कि शादी मुग़ल बादशाह से कार को तैयार हो गया , जब चन्दन कौर ने यह बात सुनी तो उसने शादी से इंकार कर दिया क्रोधित बादशाह ने लड़की को जिन्दा जलाने का आदेश दिया , मौलवियो ने बादशाह से कहा ऐसा तो यह मर जायेगी । आप इस को जेल में डालकर कष्ट दो राजा मन गया और लड़की को जेल में डाल दिया , लड़की ने जेल कि जमादारनी से कुछ क्या इस देश में कोई ऐसा राजा नहीं है जो हिन्दू लड़की कि लाज बचा सखे? जमादारनी ने कहा ऐसा वीर तो सिर्फ है है लोहागढ़ नरेश| बेटी तू एक पत्र लिख में तेरी माँ को दे दुगी| लड़की के दुखो को देख वहाँ काम करनेवाली जमादारनी ने लड़की कि मदत कि उसने अपने काजल से एक पत्र लिखा और उसकी माँ पत्र ले कर सूरजमल से पास गयी| उसकी कहानी सुन सूरजमल ने अपने दूत वीरपाल गुर्जर को दिल्ली भेजा बादशाह ने गुर्जर कि हत्या का दी और मरते मरते दूत ने अपना संदेश लोहगढ़ भेज दिया कि मुग़ल बादशाह बोले कि तू मुझे जाटणी का ढोल दे दे| यह सुन महाराज सूरजमल गुर्रा के खेड़े हुए और दिल्ली पर जाटों ने चढाई कर दी| गोर गोर जाट चले अपनी लाड़ली सुसराल चले हाथो में तलवार लेकर मुगलो के बनने जमाई| जाटों ने दिल्ली घेरली और बादशाह ने महाराज के पैर पकड़ लिये और बोला मैं तो आपकि गाय हूँ मुझे छोड़ दो| महाराजा आप कुछ दिन दिल्ली घूमो महाराज राज़ी हो गये धोखे से रुहेले मुस्लिमो ने सूरजमल को मार दिया| जब यह खबर बादशाह के पासपहुची तो वो बोला जाट को मारा जब जानिए जब 13 वि हो जाये| सैना वापिस लोट गयी| रानी किशोरी ने जवाहर सिंह को सन्देश भेजा| बाद में जवाहर वीरने दिल्ली जीती और मुगलो कि ताकत को नष्ट कर दिया| अपने राजगुरु के कहने पर दिल्ली कि गद्दी पर नहीं बैठे क्योंकी उनका मनना था इस गद्दी से बहुत अत्याचार हुए है. 
लेखकः- मानवेन्द्र सिँह तोमरभरतपुर, राजस्थान

Wednesday, February 12, 2014

क्या उद्देश्य होँगे Young JAAT Association के?

एक जाट संगठन कैसा होना चाहिए ? 
उसके क्या मुद्दे होने चाहिए? 
ये मेरे कुछ विचार है ,हम एक संगठन बनाना चाहते है। आप भी सलाह दे सकते है। और हमारी मदद कर सकते है। 
1. युवा जाटोँ को अपनी कौम के प्रति, अपने इतिहास के प्रति जागरुक करना। 
2. अपने महापुरुषोँ के विचारोँ को प्रचारित प्रसारित करना । 
3. अपने समाज के आधारभूत संस्थाओँ जैसे खाप आदि मेँ युवाओँ की हिस्सेदारी बढ़ाना, और इन संस्थाओँ को और शस्कत बनाना। 
4. युवा जाटोँ को नशेँ ,चोरी- ज़ारी आदि दुर्व्यसनोँ से बचाना , और सुधार के लिए अभियान चलाना। 
5. जाट समाज को राजनीतिक स्तर पर आगे बढ़ाना और राजनीति के प्रति जागरुक करना। और जाट समाज के नेताओँ को जाट समाज के प्रति जवाबदेह बनाने का प्रयास करना। 
6. समाज के युवाओँ के लिए रोजगार आदि के लिए संभावित संसाधनोँ को जुटाना। और ज्यादा से ज्यादा मदद करना। 
7. शोशल मीड़िया, प्रिँट मीडिया व इलक्ट्रोनिक मीड़िया मेँ ज्यादा से ज्यादा उपस्थिति दर्ज करवाना। 
8. जाट समाज की मान्यताओँ और सामाजिक संस्थाओँ के खिलाफ दुष्प्रचारोँ को पुरजोर विरोध करना।
9. जाट समाज को जागरुक करने के लिए अपने समाचार पत्र, पत्रिकाओँ, पुस्तकोँ को छपवाना। 
10. वर्तमान मेँ चल रहे सभी जाट संगठनोँ का सहयोग करना जो जाटोँ के लिए काम कर रहे है। 
11. सामाजिक कुरीतियोँ दहेज, ताश, अंधविश्वास ,आदि को दूर करना । 
12. हर स्कूल , कॉलेज मेँ अपने संगठन की उपस्थिति दर्ज करवाना, ताकि युवा जाट एकजुट हो सकेँ। और उनकी हरसंभव मदद संगठन कार्यकर्त्ता कर सकेँ।
चोधरी अभिषेक लाकड़ा जाट

Monday, February 10, 2014

जाट एकता की आवश्यकता - सची एकता - ब्राह्मणवाद के खिलाफ मोर्चा

जाट भाईयोँ राम राम, आज कल जब जाट आपस मेँ एकता की बात करते है। जाटलैंड मेँ अपने घटते प्रभाव को बढ़ाने की बात करते है तो कुछ लोगोँ को ये बात हजम नहीँ होती। कुछ जाटोँ पर भी इनका प्रभाव पड़ा हुआ है और वे भी अपने ही जाट भाईयोँ के खिलाफ मोर्चा खोल देते है। और अपनी तुच्छ मानसिकता का प्रदर्शन यँहा गालियाँ देकर करते है। मैँ उनसे पूछना चाहता हूँ कि अगर हम जाट राष्ट्रवाद की बात करते है तो इसमेँ गलत क्या है? अगर हम अपनी जाट कौम के अधिकारोँ , अपनी जाट संस्कृति को बचाने की बात करते है तो इसमेँ गलत क्या है? दोस्तोँ इस देश मेँ जब कोई हिन्दू राष्ट्रवाद की बात कर दूसरे धर्मोँ के प्रति घृणा फैलाता है तो ठीक है? जब मराठा राष्ट्रवाद के नाम पर उत्तर भारतियोँ को मारा जाता है, तो ठीक है? लेकिन जब जाट राष्ट्रवाद के नाम पर सभी धर्मोँ के जाटोँ की एकता की बात की जाती है, जब किसानोँ की बात की जाती है, जब जाट एकता की बात की जाती है तो ये ब्राह्मणवादी भड़क उठते है। और कुछ जाट भाई भी इनके बहकावे मेँ आकर अपने जाट भाईयोँ को माँ बहन की गालिया देने लग जाते है। पर भाईयोँ अब जागने का वक्त आ गया है । ऐसे लोगोँ को सबक सिखाने का वक्त आ गया है। और सबसे पहले अपने जाट भाईयोँ मेँ सुधार लाना है। अगर हम सुधर गये, एक हो गये तो मित्रो फिर वो दिन दूर नहीँ जब इस देश मेँ जाटनीति चलेगी , किसान नीति चलेगी। 
धन्यवाद 
चौधरी अभिषेक लाकड़ा

Sunday, February 9, 2014

Wake up JATS -- Is Modi the only option left??

Some jaat brother say that they have no option than modi because of congress(and his allaies).
Your opinion may be right but when we thought about the culture and tradition of jats then you are wrong..
It is right that jats always be against the power and this is our tradition.In last decads , the congress was in power.
So it is fact that Jats dominated areas often said to be the anti-congress region.
Either in west up or in haryana also.
When you read about the Bhagat Singh, Sir Choturam, Ch. Charan Singh, all these great leader ware anti power , anti congress.
So you are absolutly right that jats always be anti congress and how we vote for this party?
But in options, you say that vote for bjp , it is absolutly wrong.
Which party have the tag of capitalism, the industrialist party and anti-farmer party, how we can think about such type of options??
It is against the thaught of our great jat leader, it is against the thaught of sir Choturam, Ch.Charan Singh.But now a question come out, what is option?
Then I will suggest to read the biography of sir Choturam, Ch.Charan Singh, Bhagat Singh, Raja Mahendra Pratap. After this you have the answer of the obove question naturally.
I always said for jats,"You may be the leader." Every jaat is a good option but we need of willpower.
We need of unity.
Chaudhary Mahender Singh of rohtak can become the prime minister of Fiji, then how we have a doubt about our capability??
Chaudhary charan singh is a good example for us.
He explain, how we can occour the heighest position in the nation?
How a farmer become the prime minister!
So dear jat brother , think about jaat power, think about your capability.
We may be the prime minister!!
We are jaat, we are power!
We know how to rule?
Jai jaat devta
Chaudhary Abhishek Lakda

Saturday, February 8, 2014

आज़म खान के बयान पर मेरे विचार

कुछ दिन पहले कुछ जाट पेज परलिखा गया कि आजम खान ने जाटोँ के बारे मेँ कहा कि 
"मुस्लिमोँ को जिँदा जलाने वाली ये कौम बहुत निर्दयी है इससे बच कर रहना चाहिए"
इस पर बहुत से जाट खुश हो गये मानोँ आजम खान ने जाटो की प्रसंशा करदी हो। पर दोस्तोँ ये प्रसंशा नहीँ है, ये अपमान है। इतिहास गवाह है जाटोँ ने कभी किसी पर अत्याचार नहीँ किया।कभी किसी निर्दोष को नहीँ सताया। कभी दूसरेधर्मोँ का अपमान नहीँ किया। JAT मतलब JUSTICE (न्याय) ,ACTION (कार्यवाही), TRUTH(सत्य) अर्थात् जिसमेँ ये गुण हो वो जाट है। पर कुछ जाट भाई निर्दोष लोगोँ पर अत्याचार करके भी खुशहो रहे है जो एक सच्चा जाट तो नहीँ कर सकता।मुजफ्फरनगर मेँ जिन मुस्लिमोँ पर अत्याचार किया गया वो मुस्लिम हमारे सेवक थे कोई हमारे बाल काटने वाला नाई था, कोई हमारे फावड़े, खुरपे, दराती बनाने वाला लुहार था, कोई मजदूरी करने वाला शेख था, कोई कपड़े धोनेवाला धोबी था, कोईसोड़-बिछौने बनाने वाला तेली था, कोई बढ़ई था, जो भी थे लगभग सब जाटोँ के, किसानोँ के सेवक थे। पर फिर भी कुछ धर्मांध जाटोँ ने उन पर अत्याचार किया जो बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है। अपने सेवक पर एक सच्चा जाट कभी अत्याचार नहीँ कर सकता और ना ही होने देगा। और ये भी हकीकत है कि जाट ही उनको वापस लेकर भी आये जो जाटोँ केविशाल हृदय को दर्शाता है। जिसकी पूरी दुनिया मेँ चर्चा हुई। वास्तव मेँ जाट बोहत ही दयालु होता है। तभी जाटोँ को देवता भी कहा जाता है।राजनीतिक पार्टियाँ जिन्होँने जाटोँ को भड़काकर हमारी भावनाओँ का, हमारी ताकत का दुरुपयोग किया उनको जाट जल्द ही सबक सिखायेँगेँ। 
जय जाट देवता
चौधरी अभिषेक लाकड़ा