पश्चिमी उत्तर प्रदेश के किसानों को सन् 1947 से एक घुट्टी पिलाई जाती रही कि भारत का प्रधानमंत्री उनके प्रदेश (उत्तर प्रदेश) का होगा और रहे भी, जैसे कि पं. नेहरू, श्रीमती इन्दिरा गांधी, राजीव गांधी, वी.पी. सिंह, चन्द्रशेखर व अटल बिहारी वाजपेयी आदि। लेकिन क्या चौ० चरणसिंह उत्तर प्रदेश के नहीं थे - जिनकी सन् 1978 में सरकार को गिराने व नहीं बना देने के लिए इन्हीं उत्तर प्रदेश वालों ने जैसे श्रीमती इन्दिरा गांधी, वाजपेयी व चन्द्रशेखर ने एड़ी-चोटी का जोर लगा दिया था? इसी पश्चिमी उत्तर प्रदेश के किसान कमाते रहे हैं और बाकी उत्तर प्रदेश खाता रहा है। अर्थात् पूरे उत्तर प्रदेश में सरकारी महकमों आदि पर पूर्वी व मध्य उत्तर प्रदेश का अधिकार रहा है और इसके आंकड़े बड़े ही सनसनीखेज हैं। उत्तर प्रदेश के 19 विश्वविद्यालयों में से केवल 3 पश्चिमी उत्तर प्रदेश में हैं। तृतीय और चतुर्थ श्रेणी की नौकरियों में मात्र 14 प्रतिशत तथा राजपत्रित अधिकारी मात्र 4 प्रतिशत ही पश्चिमी उत्तर प्रदेश से है अर्थात पश्चिमी उत्तर प्रदेश कमा रहा है तो पूर्वी भईये खा रहे हैं। याद रहे इस उत्तर प्रदेश की नींव भी पं० जी.बी. पंत ब्राह्मण ने यह कह कर रखी थी कि गंगा-जमना के पानी को अलग नहीं होने दिया जाएगा। यह सभी पंत और नेहरू की चाल थी जिस पर आज तक अमल किया जा रहा है। यह शोषण नहीं तो और क्या है? यही भारी भरकम राज्य जिसकी जनसंख्या आज 16 करोड़ 62 लाख को पार कर चुकी है और पाकिस्तान की जनसंख्या 16 करोड़ 25 लाख से अधिक है। इसी प्रकार यह राज्य जनसंख्या के आधार पर लगभग 192 देशों से बड़ा है, लेकिन फिर भी केन्द्रीय सरकार पश्चिमी उत्तर प्रदेश को ‘हरित प्रदेश’ नहीं बनाना चाहती। जिसमें सरकार की इच्छा बड़ी साफ है कि वह पूरे उत्तर प्रदेश व बिहार व उत्तरांचल के लोगों को नौयडा के क्षेत्र में बसा कर यहाँ के स्थानीय लोगों को अल्पसंख्यक बनाना चाहती है जैसे कि दिल्ली में कर दिया है, ताकि हमेशा के लिए यहाँ का कारोबार व सरकार बाहरी लोगों के हाथ में रहे। इस प्रकार हम देखते हैं कि पश्चिमी उत्तर प्रदेश की ‘हरित प्रदेश’ की मांग हर तरह से न्याय की कसौटी पर खरी उतरती है। ‘हरित प्रदेश’ को बनाने में मुलायमसिंह जी सबसे बड़ी अड़चन डाल रहे हैं क्योंकि उनके वोट मध्य उत्तर प्रदेश तथा पूर्वी उत्तर प्रदेश में अटके पड़े हैं। इसके लिए पश्चिमी उत्तर प्रदेश के सभी किसान वर्ग को संघर्ष का रास्ता अपनाना होगा, वरना इनका शोषण इसी प्रकार जारी रहेगा और ये आजाद होकर भी गुलाम बने रहेंगे।