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Friday, November 8, 2013

एक भगत सिंह काफी थे संसद को हिलाने के लिए - POEM

एक भगत सिंह काफी थे संसद को हिलाने के लिए, 
एक चंद्रशेखर आज़ाद काफी थे अंग्रेजों को डराने के लिए, 
कौन था गाँधी कौन था नेहरु मैं नहीँ जानता, 
एक सुभाष चन्द्र बोस बहुत थे कहर ढाने के लिए, 
सरदार पटेल की कुर्बानी कहाँ गयी, 
कहाँ गया राजेंद्र प्रसाद जी का अस्तित्व, 
हर देशभक्त इंसान की हुंकार बहुत है, 
इन अपराधियों को छठी का दूध याद दिलाने के लिए. 
जय भगत सिंह...... जय जाट .....
Chaudhary Virpal Singh Jat

मैं हूँ देशभक्त - व्यंग्य

मुझे गलत कुछ पसन्द नहीं।
मै हूँ देश भक्त।।

ये जो फुट पाथ पे सोते हैं।
मैने देखा तो नहीं कभी इन्हें,
पर आये दिन चोरी कौन करेगा।
ये ही करते होंगे,
मुझे अपराध से नफरत है,
सबको जेल मे डाल दो,
मैने कहा ना
मै हूँ देश भक्त।।

 कल ही ऐक रिक्शे वाला मेरे हाथ से पिट गया,
पाँच रूपये फालतू माँगता था,
मुझे गलत कुछ पसन्द नहीं।
मै हूँ सिद्धांत वादी देश भक्त।।

और वो दो कौडी का पार्क का चौकीदार,
 मुझे ज्ञान सुना रहा था।
चाट खाकर दोने बच्चों ने पार्क मे क्या छोड दिये,
उन झूठे दोने को,
उठाने के लिए समझा रहा था।
बोल दिया सचिव को देखता हूँ,
कैसे नौकरी करता है,
भाई टैक्स चुकता हूँ,
मै हूँ देश भक्त।।

लोग मरने को घूमते हैं
किस किस मूर्ख को बचायें,
अभी दो लोग खून से लथपथ सड़क पर पडे थे।
देखना क्या था,
या तो नशेडी होगें या तेज़ रफ्तार।
मरते हैं तो मरें मुझे लापरवाही पसन्द नहीं
मैं हूँ देश भक्त।।

देश का बेडा गर्क हो रहा है,
रोज हत्या, बलात्कार, धमाके।
अधर्मी ही ऐसा करते हैं,
वो कभी मंदिर के रास्ते मे नहीं दिखे,
वो ही देश द्रोही हैं।
मै तो रोज मंदिर जाता हूँ
मै हूँ देश भक्त
जितेन्द्र जी के पेज से साभार

Thursday, November 7, 2013

Common Jat gotras

Common gotras with Jats Dr Ompal Singh Tugania in his book Chahuan vanshi Lakra Jaton ka Itihas (Chapter 32) has provided some common Jat gotras arising out of Chahmans or Chauhans. The following list includes such Gotras from Dr Tugania's book and also other sources:
  1. Achra, Ahlan, Anjane, 
  2. Bachaya, Bachda, Bachra, Badhak, Badwal, Balecha, Behede, Beherewal, Beniwal, Betlan, Bhadwar, Bharne, Bharwar, Bharwas, Bhattu, Bhikara, Bhukar, Bijarnia, Biloda, Bola, Brahyan, Budhwar, Burdak,
  3. Chahal, Chawra, Chhikara, Chopda, Chophe, Chopra, 
  4. Dabas, Dahana, Dahiya, Dalal, Dhayal, Deora, Deshwal, Dhaka, Dhandhi, Dhaya, Dhull, Duhoon, 
  5. Gahal, Garbarya, Gathwal, Geela, Ghant, Ghayal, Girawadia, Godhaay, Godhi, Gohala, Gohar, Goriya, Gothwal, 
  6. Hooda, 
  7. Jasrana, Jhotda, Jhotra, Judana, Jujada, 
  8. Khanna, Khapra, Kharat, Khetlan, Khichi, Khugga, Kundu, 
  9. Lakdam, Lakhlan, Lakra, Legha, Loch, Lohaan, Lohiya, Loodi, Loori, Ludhan, Luhach, Lulah, Luni, 
  10. Maan, Makar, Mela, Meran, 
  11. Nabiya, Nahowar, Nara, Narwal, Narwari, Nimma, Nimriya, Noora, Nyol, 
  12. Ohlan, 
  13. Padhyan, Panghal, Pilania, 
  14. Rai, Raibidar, Rapria, Ratha, Rau, Roda, Rojiya, 
  15. Sahu, Sambharwal, Sangriya, Sangwan, Saunkhda, Sayad, Sayanh, Sheoran, Shivah, Sihag, Sihibagh, Sindhad, Soori, Suhag, Suriya, 
  16. Talwar, Thakran, Thalor, Tharra, Thur, Tikara, Totiyan, 
  17. Veerpal, Velawat, Venipal, 

jatland.com

अजीत सिंह से कहाँ हुई चूक?

लगभग सन् 2000 की बात है , मेरी उम्र लगभग 7 साल थी। मेरे गाँव लूम्ब (जिला बाघपत) मेँ चौधरी अजीत सिँह की रैली थी। मै अजीत सिँह को जानता भी नहीँ था। लगभग 15 बीघे के मैदान मे पैर रखने की भी जगह नहीँ थी। अन्ना हजारे की रैली से कही बड़ी। बच्चे और माताएँ बहने भी चौधरी सहाब की एक झलक देखने के लिए रैली मेँ आयी थी। गांव मेँ कोई नी था। मैँ अपनी दादी के साथ अजीत सिँह को देखने गया। चौधरी सहाब को पैसोँ से तौला गया। तब गन्ने का भाव 45-55 था, पर अजीत के प्रती लोगोँ का लगाव इतना था कि अजीत के लिए सब कुछ त्याग सकते थे।तब चौधरी सहाब के एक इशारे पर जनता कुछ भी कर सकती थी। हर घर पे लोकदल का झण्ड़ा होता था। जितना प्यार चौधरी अजीत सिँह को लोगोँ ने दिया उतना चौ. चरण सिँह को भी ना मिला होगा। पर चौधरी अजीत सिँह लोगोँ की अपेक्षाओँ पर खरे नहीँ उतरे। जिस कारण आज लोग उनसे इतने दूर हो गये। उनका बार बार पार्टियाँ बदलना जाटोँ को रास नहीँ आया। और आज घरोँ पर लोकदल के झण्ड़े की बात तो भूल ही जाये, रैली मेँ भी लोगोँ को बुला बुला कर ले जाना पड़ता है। जादू खत्म हो गया। अजीत सिँह को इसकी समीक्षा करनी चाहिए। कुछ तो गलती हुई है? 
चौ. अभिषेक लाकड़ा

घूम क देख्या स, जाट ने सारा हिंदुस्तान Poem by Vikas Lathwal

घूम क देख्या स, जाट ने सारा हिंदुस्तान, 
कड़े भी म्हारे जाटलैंड बरगे नज़ारे ना थे।। 
ताज महल देख्या, देख्या लाल किला, 
कोई भी म्हारे हरे भरे खेताँ बरगे प्यारे ना थे।। 
चाउमीन भी खायी ,खाया इडली डोसा सांभर, 
कड़े भी म्हारे दूध- दही बरगे खाने ना थे।। 
मेट्रो म भी चढ़या, चढ़या जहाज भी, 
कड़े भी म्हारे बैलगाड़ी आले हुलारे न थे।। 
खूब सेवा होई मेरी, होटल म रोक्या था, 
कड़े भी म्हारा जाटलैंड आला आदर-सत्कार न था।। 

100 बाताँ कि 1 बात तो या ह भाईयों सबते प्यारी बोली म्हारी, 
सबते सादा बाना स्। खेल कूद म आगे सबते,म्हारा दूध- दही का खाना स्। 
खेती हो या पढ़ाई हो हर फील्ड में।।
 नंबर 1 म्हारा जाटलैंड स् !! 
-- विकास लठवाल

Tuesday, November 5, 2013

जाटों का खेलों में योगदान

आज सभी जाट भाइयो को ये बताने जा रहा हूँ कि जाटों का भारतवर्ष के नाम का डंका बजने के लिए कितना कुछ किया है । भारतीयों द्वारा जीते गये पदकों में कितनी संख्या जाटों कि है आप पढ़कर सहज ही अंदाजा लगा सकते है कि किसी भी अनय जाति के मुक़ाबले जाट जाति का योगदान काफी ज्यादा है । 
1.खेल - बैडमिंटन ओलिंपिक पदक - 1 जाटों द्वारा जीते पदक - 1 प्रतिशत - 100 % 
2. खेल - बॉक्सिंग ओलिंपिक पदक -2 जाटों द्वारा जीते पदक -1 प्रतिशत -50 % 
वर्ल्ड चैंपियनशिप पदक - 2 जाटों द्वारा जीते पदक -1 प्रतिशत -50 % 
वर्ल्ड कप में जीते पदक -4 जाटों द्वारा जीते पदक -2 प्रतिशत -50 % 
नोट : महिला बॉक्सिंग में कविता चहल दो बार वर्ल्ड बॉक्सिंग चैंपियनशिप में पदक जीत चुकी है 
3.खेल - कुश्ती ओलिंपिक पदक - 4 जाटों द्वारा जीते पदक - 2 प्रतिशत - 50 % वर्ल्ड चैंपियनशिप पदक - 9 जाटों द्वारा जीते पदक - 8 प्रतिशत -88.9 % 
नोट : 1. वर्ष 2010 में सुशिल कुमार सोलंकी ने इस प्रतियोगिता में गोल्ड जीता था | 2. वर्ष 1997 में रमेश कुमार गुलिया ने वर्ल्ड कैडेट रेसलिंग चैंपियनशिप में गोल्ड जीता था | 
4. खेल - शूटिंग मानवजीत सिंह संधु ने वर्ष 2006 में वर्ल्ड शूोटिंग चैंपियनशिप में ट्रैप इवेंट में गोल्ड जीता । 2009 में शूटिंग वर्ल्ड कप में कांस्य तथा 2010 में गोल्ड जीता । 2010 में सीमा तोमर ने शूटिंग वर्ल्ड कप में रजत पदक जीता । 
5. खेल - रोइंग बजरंग लाल ताखर ने वर्ष 2010 में एशियाई खेलों में गोल्ड जीता | वर्ष 2013 में स्वर्ण सिंह विर्क ने एशियन रोइंग चैंपियनशिप में गोल्ड जीता | 
6 खेल -पैरालिम्पिक्स ( भाला फैंकना ) वर्ष 2004 में देवेन्द्र झाझड़िआ ने पैरालिम्पिक्स में गोल्ड जीता । वर्ष 2013 में वर्ल्ड चैंपियनशिप में गोल्ड जीता | 
7. वर्ल्ड मेडिकल एंड हेल्थ गेम्स वर्ष 2010 से लेकर वर्ष 2013 तक मेजर डॉ सुरेन्द्र पुनिआ ने इस प्रतियोगिता में 20 पदक जीते जिसमे 7 गोल्ड थे | तो ये सब पढ़कर आप सब सहज ही अंदाजा लगा सकते है कि जाटों का खेलों में योगदान अतुलनीय है | 
लेखक : अमनदीप सिंह नैन 

Monday, November 4, 2013

लोकदल वाले कोण हैं??? क्यों ये दंगो के बाद दुःख में नही आये हमसे मिलने??

लोग कह रहे है कि हमारे दुख मेँ BJP वाले आये .लोकदल वाले नहीँ आये। पर ये लोकदल वाले है कौन? कँहा रहते है? और आये कैसे नहीँ? मैँ इसका जवाब ढ़ूँढ़ने की कोशिश की तो पता चला कि ये तो हमारे गावोँ के बुजर्ग , चौधरी , और आम किसान है। ये ही तो लोकदल का कार्यकर्त्ता है। ये तो हमारे साथ ही थे, इन्होने भी अपनोँ को खोया है। तो फिर बहार से कौन आता? क्या अजीत सिँह ही लोकदल वाला है? नहीँ ना? फिर ये सवाल क्योँ ? कि लोकदल वाले नहीँ आये। हर घर मेँ लोकदल कार्यकर्त्ता , फिर किन लोकदल वालोँ को बुलाना चाहते हो? जरा दिमाग़ से सोचो भाई। दुख हमेँ भी है ,हम भी तुम्हारे साथ रहते है। कल गामोँ मे जिस तरह दिवाली मनाई गयी हम भी शामिल थे। BJP और उसके नेता तो शहरोँ मेँ पटाखे फोड़ रहे थे। मोदी जी भी दिवाली मना रहे थे। पर अजीत सिँह  ने दिवाली नहीँ मनाई । तुम लोगोँ के गाली देने के बावजूद वे तुम्हारे साथ है। क्योँ ? क्योँकि वो अपने है। जाटोँ के लिए काँग्रेस के साथ नरक मे पड़े है, ताकि जाटोँ को आरक्षण मिल जाये। एक भी लोकदल वाले का नाम बता दो जिसने दिवाली मनाई हो? जरा सोचोँ भाई। सर छोटूराम जी कहते थे कि जाट तू दुश्मन को पहचानना सीख ले और बोलना सीख ले बस, फिर हम दुनिया के राजा है। 
चौ. अभिषेक लाकडा लूम्ब, बाघपत

जाट लिँग पूजा क्योँ कर रहे है?

आजकल जाट भाइयोँ को भी कावड लाने का और शिवलिँग पूजने का शौक का लग गया है। लाखोँ करोडोँ रुपये कावड मेँ बर्बाद कर रहे है। शिविरोँ मे ऐसे नाचते है जैसे ये जाट के घर नहीँ किसी डूम के घर पैदा हुए हो। हद तो यहाँ तक है कि माताए बहने भी लिँग पूजा करती है, जो मुझे तो बेहद शर्मनाक लगता है। अगर उन्हे नहीँ पता कि ये शिव लिँग क्या है तो मै बताता हूँ।

शिव पुराण, रुद्र संहिता, अध्याय 11 मेँ लिखा है-
गिरिजा योनि रूपाँ च संस्थाप्य शुभं पुनः। तत्र लिँगं च तत्सस्थांप्य पुनश्चैवाभिमन्तरमेत्।। 

अर्थ- 

पार्वती के गुप्तांग की नकल की शुभ जलहरी बनाकर फिर उसमेँ लिँग को स्थापित करके उसकी पूजा करेँ।

अब तो मेरे जाट भाइयोँ को कोई शंका नहीँ रही होगी जो पंडोँ के चक्कर मे पडकर लिंग पूजते हैं। ये तो घोर अश्लिल कृत्य है और सभ्य आदमी के लिए तो बिल्कुल नहीँ है। मेरी तो आपसे एक ही प्रार्थना है कि अब तो "पंडा छोडो"।
चौ. अभिषेक लाकड़ा

pariwad vs jaatwad

Jat se jyada vafadar koi kom nahi isko dunia ke sath sath Rajnaitik Partiya bhi janti hai. Isi liye to unhone facebook par apne samarthak jato ko apne hi jat bhaiyo ke khilaf galia dene main laga rakha hai.Jaise hi koi jat apne neta ke kilaph tippni padta hai apne aape se bahar ho galia dena sooru.Agar hamare purvaj bhi aap jaise vyaktivadi hote tab ch Chotu Ram ,Ch Charan Singh ,Ch Devilal ,jaise neta na hote.Jat yuva ko Desh ko sambhalne ki takat paida karni hai .Kab tak dusro ke liye apno ka sikar karoge. 
 चौ. अभिषेक लाकड़ा

The religion of jaats

What is the religion of jaat people? 
which religion does follow jaat people? 
these are some question, which are in every jaats mind. 
so i try to tell you that what is the original religion followed by jaats. 
there are some people who say that our religion is Hindu but this is not true! if you know history that the word "Hindu" is not mentioned in our religious book before 4th century. the oldest temple was made up in 4th century also. so there is a question what was our religion before 4th century. this was word "Vaidik" mentioned in our book. the name of god was "om" in vedas which was written about 2800year b.c. now a days we say that jaat are in three religion i.e hindu, muslims, and sikh. but sikh is not a religion, this is a panth like arya samaj, kabir panthi. the sikh as a religion was the invention of extrimist sikh. in holy shri guru granth sahib mentioned that the name of god is "om" we also say "ek omkar" and the khalsa was the name of army against muslims. there is not murti puja (idol worship) in our religion. our leader i.e Sir Chhotu Ram, Ch. Charan Singh, Thakur Desraj,and our historian also mentioned that our religion is vaidik not hindu and sikh. sir chotu ram ji also a scholar of sanskrit language. you can take the example of bhagat singh, he was the follower of arya samaj whish say that our religion is vaidik and his fathar also say that their religion is vaidik. they do hawan also. you can take the example of dharmendra also. 
Who divide us as hindu and sikh they don't read our religious history.
So i want to say that jaat and jatt are not different. they are same. as we say in UP jaat ka chora and the same line in haryana we say that jatta ka chora. so this is the diff. of language b/w jaat, jatt and jatta etc. we can do a large discussion on this subject but i put a bar on my hand. 
to read more follow me on twitter @abhichaudhary95
 Read JAT History Books on  http://jat.techjat.tk

जब दियोँ की जगह जल रहा खेत हमारा.......... ये दिवाली कैसे मनाऊँ??

जब दियोँ की जगह जल रहा खेत हमारा, 
जब अर्थियोँ पर पड़ा हो भाई चारा, 
जो थे भाई वो बने कसाई,
 प्यार नाम की ना परछाई, 
जब रो रहे हो भाई हमारे, 
जब खुले घूम रहे हत्यारेँ, 
तो फिर बता 'अभिषेक लाकड़ा' ये दिवाली कैसे मनाऊँ ?? 
जब चल रही है आँधी नफरत की, 
आज दियोँ को किस तरह जलाऊँ?? 
तुम ही बताओ दोस्तोँ, 
ये दिवाली कैसे मनाऊँ?? 
चौ. अभिषेक लाकड़ा