मुझे गलत कुछ पसन्द नहीं।
मै हूँ देश भक्त।।
ये जो फुट पाथ पे सोते हैं।
मैने देखा तो नहीं कभी इन्हें,
पर आये दिन चोरी कौन करेगा।
ये ही करते होंगे,
मुझे अपराध से नफरत है,
सबको जेल मे डाल दो,
मैने कहा ना
मै हूँ देश भक्त।।
कल ही ऐक रिक्शे वाला मेरे हाथ से पिट गया,
पाँच रूपये फालतू माँगता था,
मुझे गलत कुछ पसन्द नहीं।
मै हूँ सिद्धांत वादी देश भक्त।।
और वो दो कौडी का पार्क का चौकीदार,
मुझे ज्ञान सुना रहा था।
चाट खाकर दोने बच्चों ने पार्क मे क्या छोड दिये,
उन झूठे दोने को,
उठाने के लिए समझा रहा था।
बोल दिया सचिव को देखता हूँ,
कैसे नौकरी करता है,
भाई टैक्स चुकता हूँ,
मै हूँ देश भक्त।।
लोग मरने को घूमते हैं
किस किस मूर्ख को बचायें,
अभी दो लोग खून से लथपथ सड़क पर पडे थे।
देखना क्या था,
या तो नशेडी होगें या तेज़ रफ्तार।
मरते हैं तो मरें मुझे लापरवाही पसन्द नहीं
मैं हूँ देश भक्त।।
देश का बेडा गर्क हो रहा है,
रोज हत्या, बलात्कार, धमाके।
अधर्मी ही ऐसा करते हैं,
वो कभी मंदिर के रास्ते मे नहीं दिखे,
वो ही देश द्रोही हैं।
मै तो रोज मंदिर जाता हूँ
मै हूँ देश भक्त
जितेन्द्र जी के पेज से साभार