लोग कह रहे है कि हमारे दुख मेँ BJP वाले आये .लोकदल वाले नहीँ आये। पर ये लोकदल वाले है कौन? कँहा रहते है? और आये कैसे नहीँ? मैँ इसका जवाब ढ़ूँढ़ने की कोशिश की तो पता चला कि ये तो हमारे गावोँ के बुजर्ग , चौधरी , और आम किसान है। ये ही तो लोकदल का कार्यकर्त्ता है। ये तो हमारे साथ ही थे, इन्होने भी अपनोँ को खोया है। तो फिर बहार से कौन आता? क्या अजीत सिँह ही लोकदल वाला है? नहीँ ना? फिर ये सवाल क्योँ ? कि लोकदल वाले नहीँ आये। हर घर मेँ लोकदल कार्यकर्त्ता , फिर किन लोकदल वालोँ को बुलाना चाहते हो? जरा दिमाग़ से सोचो भाई। दुख हमेँ भी है ,हम भी तुम्हारे साथ रहते है। कल गामोँ मे जिस तरह दिवाली मनाई गयी हम भी शामिल थे। BJP और उसके नेता तो शहरोँ मेँ पटाखे फोड़ रहे थे। मोदी जी भी दिवाली मना रहे थे। पर अजीत सिँह ने दिवाली नहीँ मनाई । तुम लोगोँ के गाली देने के बावजूद वे तुम्हारे साथ है। क्योँ ? क्योँकि वो अपने है। जाटोँ के लिए काँग्रेस के साथ नरक मे पड़े है, ताकि जाटोँ को आरक्षण मिल जाये। एक भी लोकदल वाले का नाम बता दो जिसने दिवाली मनाई हो? जरा सोचोँ भाई। सर छोटूराम जी कहते थे कि जाट तू दुश्मन को पहचानना सीख ले और बोलना सीख ले बस, फिर हम दुनिया के राजा है।
चौ. अभिषेक लाकडा लूम्ब, बाघपत