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Wednesday, June 18, 2014

aaj ka behya / Jatland Ke Kware Bhaiya Khatir


आच्छा समय गया पर दिल मं असर उ
'की परछाइयाँ का 
घणा नहीं पर ज़िकर करूँ दो चार रसम मनभाईयां का 


पहल्यां देखैं
, फेर पक्की, फेर गोद भरण नै जावैं सै
देखैं बाट पडोसी कित वो खूग्या दौर सगाईयाँ का 


बान बैठ बनवाड़े खाते मटना रगड़ न्हवाया करती 

इब डेंट-पेंट कर नक्शा बदलैं 
'पार्लर' ब्याहले भाईयाँ का

ब्याह तै पहल्यां बीस रोज
, ज्यब गीत लुगाई गाया करती 
इब कार्ड पै छपता डीजे संग 
'लेड़ीज संगीत' लुगाइयां का 

ब्याह मं म्हिन्या पहल्यां आकै बुआ-बहाण रंग लाया करती 

इब होटल म्हां तै मुड़ ज्यां पैर पडे ना घर माँ-जाईयाँ का


इब छोरे के ब्याह मं भी घलता कन्यादान 
'रिशैपशन' पै 
लाडडू ज्यब दिखण दें सै ज्यब आले नेग बधाईयाँ का 


लोटा लेकै गरम दूध का बहू चौबारे जाया करती 

इब अगले दिन जां शिमला सर पै क़र्ज़ खड्या हलवाईयां का 


सात जनम के बंधन मं बंध धरम की डगर चल्या करते 

इब कर कै शक लें जूत बजा फेर चालै दौर गव्हाईयां का 


पैसा-मस्ती-मौज सोच या खागी सब संस्कारां नै 

आछा-भला बखत था म्हारी दादी
, माँ और ताइयां का