खालसा
पंथ की स्थापना से पहले सरदार शब्द केवल जमीँदार जाटोँ के लिए इस्तेमाल
होता था, जो लड़ाके थे। पाकिस्तान के पंजाब मेँ भी कुछ मुस्लिम जाट भी अपने
नाम से पहले सरदार लगाते है।
सिख धर्म मेँ 70 % जाट ही है, वक्त के साथ साथ ये टाईटल खत्री आदि कौम भी प्रयोग करने लगी। और अब सरदार का मतलब बस सिख रह गया है जबकि ये जाटोँ का टाईटल था।
हिन्दी भाषी क्षेत्र के जाट लम्बरदार टाइटल का प्रयोग करते थे। जबकि चौधरी शब्द का प्रयोग पंजाब के जाट भी करते थे पर गांव के मुखिया के लिए चौधरी शब्द का प्रयोग किया जाता था।
सिँधी , फारसी मेँ भी सरदार लड़ाकू टुकड़ी के मुखिया के लिए प्रयोग किया जाता था।
सिख इतिहास मेँ भी सरदार शब्द जाट लड़ाकोँ के लिए आता है पर बाद मेँ सबके लिए इस्तेमाल किया गया।
पर धार्मिक अंधता ने पूरे इतिहास को तबाह कर दिया, जाटिज्म का विनाश करने की कोशिश की ।
अब कुछ लोग हिन्दुत्व की आड़ लेकर ये काम कर रहे है।
सिँह और कौर भी जाटोँ के लिए इस्तेमाल होते थे,बाघपत, शामली, मुजफ्फरनगर मेँ जाट औरते के नाम के बाद कौर होता था। पर गावोँ मेँ नाम छांट देते थे,जैसे शीतल कौर को शितलो , अतल कौर को अतलो ,प्रेम कौर को प्रेम्मो ,फूल कौर को फूल्लो आदि आदि नाम.. ..
सिख धर्म मेँ 70 % जाट ही है, वक्त के साथ साथ ये टाईटल खत्री आदि कौम भी प्रयोग करने लगी। और अब सरदार का मतलब बस सिख रह गया है जबकि ये जाटोँ का टाईटल था।
हिन्दी भाषी क्षेत्र के जाट लम्बरदार टाइटल का प्रयोग करते थे। जबकि चौधरी शब्द का प्रयोग पंजाब के जाट भी करते थे पर गांव के मुखिया के लिए चौधरी शब्द का प्रयोग किया जाता था।
सिँधी , फारसी मेँ भी सरदार लड़ाकू टुकड़ी के मुखिया के लिए प्रयोग किया जाता था।
सिख इतिहास मेँ भी सरदार शब्द जाट लड़ाकोँ के लिए आता है पर बाद मेँ सबके लिए इस्तेमाल किया गया।
पर धार्मिक अंधता ने पूरे इतिहास को तबाह कर दिया, जाटिज्म का विनाश करने की कोशिश की ।
अब कुछ लोग हिन्दुत्व की आड़ लेकर ये काम कर रहे है।
सिँह और कौर भी जाटोँ के लिए इस्तेमाल होते थे,बाघपत, शामली, मुजफ्फरनगर मेँ जाट औरते के नाम के बाद कौर होता था। पर गावोँ मेँ नाम छांट देते थे,जैसे शीतल कौर को शितलो , अतल कौर को अतलो ,प्रेम कौर को प्रेम्मो ,फूल कौर को फूल्लो आदि आदि नाम.. ..
कौर
शब्द भी कंवर शब्द का अपभ्रंस है, खाप इतिहास मेँ जाट औरते के नाम के बाद
कंवर , कौर मिलना आम बात है। पर गुरु गोबिँद सिँह जी ने हर खालसा को सिँह
और कौर टाइटल दे दिये।