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Wednesday, June 18, 2014

याद आगया म्हारा गाम / our village jatland

हाय रे शहर में रहना पानी में अडंगा बहनाभाग दोड़ में कटज्या जिंदगी मिलता ना आराम
बिस्तर के महा पड़े पड़े के याद आगया म्हारा गाम

म्हारे बचपन के दिन थे बड़े निराले

कच्छे पहरा थे हम नाडा आले

खावा थे जामन काले काले

पेड़ा के लरजे थे डाले

दोफारा में हांडा करते लागे था ना घाम

बिस्तर के महा पड़े पड़े के याद आगया म्हारा गाम

खेता के म्हा हम जाया करते

हूड खेल कबड्डी हम नहाया करते

कचरे तोड़ के लाया करते

फोड़ फोड़ के खाया करते

उलटे घरने आया करते होजाती जब शाम

बिस्तर के महा पड़े पड़े के याद आगया म्हारा गाम

रोटी खाके बतलाया करते

फेर कठे होके हम जाया करते

घडवे ठा ठा लाया करते

गाया और बजाया करते

अपना दिल बहलाया करते लागे था ना दाम

बिस्तर के महा पड़े पड़े के याद आगया म्हारा गाम

मेहनत करके जो भी खावेगा

सबके मन में वो बस जावेगा

देवरखाने में जावेगा

परमात्मा भी मिल जावेगा

भगति के म्हा रस पावेगा भला करे तेरा राम

बिस्तर के महा पड़े पड़े के याद आगया म्हारा गाम