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Wednesday, June 18, 2014

जेठ की दुपहरी / jeth ki dupahri

जेठ की दुपहरी कसुता घाम था
पड़ा
 चौबारे में कर रहा आराम थारेडिओ पे रागनी बजा रहा था
गेल
 गेल खुद भी गा रहा थाबिजली चली गयी मेरा जी फुकग्या

छत
 का पंखा लुढ़क लुढ़क के रुकग्याफेर मेरे बीडी की याद आई
बण्डल
 देखा तो वे भी टूटी हुयी पाई
दुखी
 होगया था पड़ा पड़ा
फेर बीडी
 लेन दुकान पे चाल पड़ा
गाल
 कती सुनी पड़ी थी
किते ट्राली किते बुग्गी कड़ी थी

मैं अपनी मस्ती में जा रहा था


अर गुलाबो आली रागनी गा रहा था

पीछे ते किसे ने आवाज मारी

मन्ने देखा गोबर में हाथ सांधे
 खड़ी थी दुलारीमैं बोला हा बोल के काम से


नु
 बोली हाडे आजा ने कितना कसुता घाम से
मैं
 सर पे गेर रहा था तोलिया
 अपने घेर में बडगी मैं भी पाछे पाछे हो लिया
मन्ने
 कही इब तो बतादे

वा बोली मेरा
 ओढना संघवा दे
मैं ओढना
 संघवान लाग्या
अर
 गलती ते मेरा हाथ उसके लाग्या
वा तो
 रोण लाग्गी

इतने
 में उसकी भाभी आगीवे दोनु मेरे ते लड़न लाग्गी
मेरी
 आंख आगे अँधेरी सी छागी
मैं बोला मन्ने
 माफ़ कर दो
और
 इस मामले ने हाडे  साफ कर दोवे बोली तेरा इलाज बंधवाना पड़ेगा
के तो
 म्हारा काम कर ना तो तू पिटवाना पड़ेगा

मैं बोला
 जो कहोगी वो करूँगा
कहो तो
 थारा पानी भी भरूँगावे बोली ठीक से या बात किसे ते ना बताइए
और
 यो गोबर पड़ा से सारे ने पाथ के जाइये

मैं
 बाजु संघवा के लाग्या
दो
 घंटे घाम में गोबर पाथा फेर लिकड़ के भाग्याइब जब भी दुलारी दिखे से मैं रास्ता बदल जाऊ सु
कड़े
 फेर वो हे काम बने पहला हे टल जाऊ सु