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Sunday, June 15, 2014

Jats history of Afganistan

अफगानिस्तान के पश्चिमि हिस्से मेँ खट्टर , खटकर,पंवार और अन्य गौत्र के जाट रहते है।
पर अफगानिस्तान बहुत पहले ही भारत से अलग हो गया था इसलिए उनकी तरफ ध्यान नहीँ दिया गया जबकि वे भी जाट इतिहास का एक हिस्सा है। अफगानिस्तान का ये हिस्सा कजाखिस्तान , उज्बेकिस्तान के करीब है।
यंहा गुज्जर भी रहते है पर वे भी अपने को एक जाट गोत्र या जाटोँ की एक शाखा ही मानते है। वैसे राजस्थान मेँ भी गूजर गौत्र के कुछ गांव है। इसलिए इस बात पर हैरानी नहीँ कि अफगानिस्तान मेँ भी गूजर गौत्र के जाट रहते हैँ
रेगिस्तान होने के कारण यंहा के जाट ऊंट रखते है और ऊंटो से खेती करते है, कुछ विदेशी इतिहासकारोँ ने इन्हे कैमिल ड्राइवर, खानाबदोश ,जिप्सी तक नाम दिया।
और सिंध के जाट ऊंट नहीँ पालते थे जिसका हवाला इतिहासकारोँ ने दिया पर अफगानिस्तान का इतिहास लिखने वाले इतिहासकारोँ ने शायद राजस्थान, और सिरसा के जाटोँ का अध्ययन नहीँ किया जो ऊंट पालते थे।
भारतीय जाट इतिहासकारोँ ने अफगानिस्तान के जाटोँ के बारे मेँ शायद इसलिए नहीँ लिखा कि वे मुस्लिम थे और अगर अध्ययन किया जाता तो सबसे ज्यादा जाट इस्लाम को मानने वाले सिद्ध हो जाते।
उज्बेकिस्तान के बाकू मेँ तो जाट(आर्य) लोगोँ की यज्ञशाला अबतक सुरक्षित है। इसलिए अगर हम अफगानिस्तान के जाटोँ का अध्ययन करे तो मुझे पक्का विश्वास है कि उक्त देशोँ मेँ भी जाट होने के प्रत्य्क्ष प्रमाण मिलेगेँ।
मैँ इंजिनियरिँग का छात्र हूं इसलिए इतिहास के लिए कम समय है पर मेरा जाट इतिहासकारोँ से निवेदन है कि वे अन्य देशोँ के जाटोँ का भी अध्ययन करेँ।
मुझे हाल मेँ ही एक मित्र ने बताया था कि चंगेज खान(johal jat gotra) भी जाट था जिसके गौत्र के जाट सिँध मेँ आज भी मिलते है। चंगेज खान से बड़ा साम्राज्य आज तक विश्व मेँ किसी का नहीँ रहा।